जनपद | मेले का नाम |
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अल्मोडा |
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बागेश्वर |
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चमोली |
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चम्पावत |
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देहरादून |
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हरिद्वार |
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नैनीताल |
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पौडी गढवाल |
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पिथौरागढ |
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रूद्रप्रयाग |
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टिहरी |
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उधमसिंह नगर |
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उत्तरकाशी |
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Distt. | Fairs's Name |
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Almora |
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Bageshwar |
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Chamoli |
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Champavat |
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Dehradun |
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Haridwar |
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Nainital |
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Pauri Garhwal |
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Pithoragarh |
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Rudraprayag |
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Tehri |
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Udham Singh Nagar |
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Uttarkashi |
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सिद्धपीठ, सिद्धबली कोटद्वर में बजरंगबली के इस मन्दिर में पूजा अर्चना के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
नौगांव रवाई, उत्तरकाशी में कृषि पर आधारित इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
ऐतिहासिक वीर शिरोमणि माधोसिंह भण्डारी के नाम पर इस मेले का उनके जन्म स्थल मलेथा में उनकी याद में आयोजन किया जाता हैा
शहीद नागेन्द्र सकलानी के नाम पर इस मेले का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता हैा
प्रत्येक वर्ष माह जनवरी में विभिन्न स्थानों पर उत्तरायणी मेले का आयोजन किया जाता हैा जो उत्तराखण्ड का पारम्परिक त्यौहार हैा
यह एक पारम्परिक मेला है दो समूहों के बीच गेन्द खेलने की परम्परा पर आधारित हैा
उत्त्रकाशी के प्रसिद्ध माघ मेले का माघ के महीने अर्थात जनवरी में मनाया जाता है, जिसमें उत्तरकाशी के पौराणिक लोकगीत एवं लोकनृत्य का समावेश होता हैा
संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड द्वरा कवि सम्मेलन, मुशायरा व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
26 जनवरी राज्य के विभिन्न जनपदों में मनाया जाता हैा
Alongwith offering prayers cultural programs are organized at the Hanuman temple at Kotdwar.
Festival organized based on farming at Naugaon Rawai, Uttarkashi
This carnival organized in the remembrance of Veer Shiromani Madho Singh Bhandari at his borth place, Maletha.
This carnival organized in the remembrance of Nagendra Saklani
Every year Uttarayani Mela is organized at various places. This is a traditional festival of Uttarakhand.
This is a traditional carnival and is based on playing ball between two communities.
This is celebrated in January in which Uttarkashi's mythological folk dance and folk music are performed.
संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड द्वरा कवि सम्मेलन, मुशायरा व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
26 जनवरी राज्य के विभिन्न जनपदों में मनाया जाता हैा
रंगमण्डल देहरादून द्वरा नये प्रतिभाशाली कलाकारों को मंच उपलब्ध कराना तथा रंगकर्मियों की प्रतिभा को उजागर करने के उददेश्य से गत वर्ष भी हिन्दी नाटय ‘’दूर का आकाश’’ की कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसे प्रशिक्षार्थियों द्वरा मंचित किया गया
ऋषिकण्व की तपस्थली होने के कारण इस मेले का भव्य आयोजन किया जाता है, यह आश्रम कोटद्वर में स्थित हैा
बसन्त ऋतु के आगमन पर जब नूरी धरती हरी-भरी एवं फूलों से लदी रहती है, तब इस त्यौहार को मनाया जाता हैा
The Rangmandal organises this to provide a platform to the new talented artists.
This is celebrated as it is the place of worship of Rishi Kanv. The ashram is located in Kotdwar.
This festival is celebrated in spring.
तीर्थ नगरी ऋषिकेश में विख्यात एवं प्रसिद्ध गुरूओं द्वरा योग दिवस के अवसर पर योग का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता हैा
स्कन्द पुराण के मानस खण्ड के प्रधान अध्याय 106 के अनुसार अत्यन्त प्राचीन मन्दिर है शिवरात्रि पर इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
शिवरात्रि के अवसर पर पर्यटन की दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
दिनांक 8 मार्च को अर्न्तराष्टरीय महिला दिवस मनाया जाता है जिसमें कई विशिष्टि अतिथि, गणमान्य व्यक्ति आदि सम्मिलित होते हैं जिन्हें उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति से अवगत कराये जाने का यह उपयुक्त अवसर होता हैा
उत्तराखण्ड की पारम्परिक होली का आयोजन सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में किया जाता हैा
विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर भारतवर्ष व उत्तराखण्ड से नाटय दलों को नाटय प्रस्तुति हेतु आमंत्रित किया जाता है जिसमें रंगकर्मियों को लाभान्वित किया जा सके तथा रंगमंच को एक नई दिशा प्रदान की जा सके.
धार्मिक महत्व से परिपूर्ण इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
Renowned Yoga gurus give training on yoga at Rishikesh. During this cultural programs are also organized.
This fair is organized on Shivratri.
This fair is organized on Shivratri and is important from tourism aspect.
International Women’s Day is celebrated in Dehradun. Dignitaries are invited for the program to give them a glimpse of the culture of Uttarakhand.
उत्तराखण्ड की पारम्परिक होली का आयोजन सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में किया जाता हैा
Drama groups are invited from all over India and Uttarakhand so as to provide a new direction to the performing arts.
This is a religious fair organized at Champawat.
बीर सैनानी गब्बर सिंह की याद में प्रत्येक वर्ष इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के इस सिद्धपीठ में सुरकण्डा मां के नाम से मेले का आयोजन किया जाता हैा
जनपद पिथौरागढ के थल नामक स्थान पर सुविख्यात व्यापारी एवं ऐतिहासिक थल मेले का आयोजन बैशाखी के अवसर पर मनाया जाता हैा
बैशाखी के अवसर पर जौनसार बाबर के जनजातिय क्षेत्र में परम्परागत बिस्सू मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें विलुप्त होती लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन करने हेतु विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
अल्मोडा का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती मेला अपनी पौराणिक लोक संस्कृति के लिए सुप्रसिद्ध है जिसमें कुमाऊं क्षेत्र के अनेकों गीतों एवं नृत्यों को प्रस्तुत किया जाता हैा
बैशाखी के अवसर पर गौतम ऋषि की तपस्थली गौतमकुण्ड, चन्द्रवनी, देहरादून में प्रत्येक वर्ष दिनांक 14 अप्रैल को बैशाखी मेले का आयोजन किया जाता हैा महर्षि अगस्त्य की तपोभूमि अगस्त्यमुनि में इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
This is celebrated every year in the remembrance of Veer Gabbar Singh.
This is a religiously and culturally relevant fair which is organized.
This fair has a religious as well as mythological importance and is organized in the name of the goddess Surkunda.
This is organized during Baisakhi at Thal. This has historical importance.
This is organized during Baisakhi in the Jaunsaar Bhawar region so as to preserve and develop the folk culture.
This fair is popular for its mythical folk culture. A lot of dance and music are presented in this fair.
On the occasion of Baisakhi this event is celebrated in Chandrabani, Dehradun where Gautam Rishi offered prayers.
पांच दिवसीय मंदरांचल सिद्धपीठ गुरू माणिकनाथ जी की जात यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता हैा
अमर शहीद केशरी चन्द बलिदान दिवस पर शहीद केशरी मेले का भव्य आयोजन किया जाता है जिसमें जौनसार क्षेत्र के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
बसंत ऋतु के आगमन पर जनपद चमोली गढवाल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ बसन्त बुरांश मेले का आयोजन किया जाता हैा
पांच दिवसीय आयोजित इस मेले के अवसर पर मूल निवास प्रमाण पत्र बनाना, स्वास्थ्य मेला, सांस्कृतिक कार्यक्रम, रोजगार पंजीकरण, जिला उदोग केन्द्र और कृषि से सम्बन्धित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
व्यापार एवं पर्यटन की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण इस मेले का आयोजन खादी एवं ग्रामोदोग बोर्ड द्वरा किया जाता है, जिसमें संस्कृति विभाग द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
जौनपुर की सांस्कृतिक गतविधियों से परिपूर्ण इस मेले में जौनपुर की लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन के उददेश्य से इस मेले का आयोजन किया जाता है पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस मेले में देश-विदेश के पर्यटक आते हैा
स्व0 श्रीदेव सुमन जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में नई टिहरी जनद में राष्टरीय भावना से ओत प्रोत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना हैा
उत्तराखण्ड में मनाये जाने वाले एकमात्र छलिया महोत्सव में राज्य के विभिन्न दूरस्थ एवं संस्कृति सम्पन्न सांस्कृतिक दलों द्वरा विभिन्न संस्कृतियों की झलक जनपद वासियों को दिखाये जाने का यह सुअवसर होता हैा यहां पर छलिया जिसे छोलियो नृत्य के नाम से जाना जाता है कुमाऊं मण्डल के लगभग 50 छोलिया दल यहां पर आते हैं तथा उनकी प्रतिस्पर्धा करवायी जाती हैा यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण हैा
This is a 5 days long event and is organized in a grand scale.
This fair is organized on the martyr day of shaheed Kesari Chand.
This is organized with cultural programs on the arrival of spring.
This is a 5 days long event. During this event registration of registration of native certificate, health fair, registration of businesses, farming related programs are organized.
This is organized by the Khadi Gram Udyog and is of great importance from a commerce and tourism point of view. The Sanskriti Department also organizes cultural programs.
This is based on the cultural activities of Jaunpurand is organized with an objective to preserve and develop the folk culture of Jaunpur.
On this day patriotic programs are organized to celebrate the birth day of Late Sridev Suman.
Chaliya comes from Cholia dance. Around 50 Cholia groups from Kumaon come here and compete with each other. This holds a lot of importance from a tourism point of view.
इसका मुख्य उददेश्य सरयू एवं रामगंगा के मध्य स्थित गंगावली क्षेत्र की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर को प्रकाश में लाना तथा सांस्कृतिक पर्यटन को बढावा देना हैा
जौनसार बाबर के परम्परागत मेलों में से एक हैं जो प्रतिवर्ष कमेला में प्रसिद्ध वाशिख देवता के आगमन पर मनाया जाता हैा
संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड द्वरा प्रत्येक वर्ष माह-जून में बद्री-केदार उत्सव का आयोजन किया जाता हैा इस आयोजन का मुख्य उददेश्य बाहर से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु उत्तराखण्ड के लोक गीतों, लोकनृत्यों के अतिरिक्त शास्त्रीय नृत्य वादन, एवं भजन के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं इस कार्यक्रम का शुभारम्भ हरिद्वर से किया जाता है उसके बाद बद्रीनाथ धाम में तथा केदार घाटी में इसका समापन किया जाता है संस्कृति विभाग, उ0प्र0 से ही इस कार्यक्रम का आयोजन होता चला आ रहा हैा
शहीद भवानी दत्त जोशी को मरणोपरान्त अशोक चक्र सम्मान प्राप्त हुआ था, जिसके उपलक्ष्य में मेला समिति द्वरा इस मेले का आयोजन किया जाता है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाते हैा
नगर पालिका परिषद, द्वरा प्रत्येक वर्ष सांस्कृतिक गतिविधियों को उजागर करने एवं देश-विदेश से आये पर्यटकों के लिए मनोरंजन की दृष्टि से ग्रीष्मोत्सव मेलो का आयोजन किया जाता हैा
इसका मुख्य उददेश्य सरयू एवं रामगंगा के मध्य स्थित गंगावली क्षेत्र की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर को प्रकाश में लाना तथा सांस्कृतिक पर्यटन को बढावा देना हैा
जौनसार बाबर के परम्परागत मेलों में से एक हैं जो प्रतिवर्ष कमेला में प्रसिद्ध वाशिख देवता के आगमन पर मनाया जाता हैा
संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड द्वरा प्रत्येक वर्ष माह-जून में बद्री-केदार उत्सव का आयोजन किया जाता हैा इस आयोजन का मुख्य उददेश्य बाहर से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु उत्तराखण्ड के लोक गीतों, लोकनृत्यों के अतिरिक्त शास्त्रीय नृत्य वादन, एवं भजन के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं इस कार्यक्रम का शुभारम्भ हरिद्वर से किया जाता है उसके बाद बद्रीनाथ धाम में तथा केदार घाटी में इसका समापन किया जाता है संस्कृति विभाग, उ0प्र0 से ही इस कार्यक्रम का आयोजन होता चला आ रहा हैा
शहीद भवानी दत्त जोशी को मरणोपरान्त अशोक चक्र सम्मान प्राप्त हुआ था, जिसके उपलक्ष्य में मेला समिति द्वरा इस मेले का आयोजन किया जाता है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाते हैा
नगर पालिका परिषद, द्वरा प्रत्येक वर्ष सांस्कृतिक गतिविधियों को उजागर करने एवं देश-विदेश से आये पर्यटकों के लिए मनोरंजन की दृष्टि से ग्रीष्मोत्सव मेलो का आयोजन किया जाता हैा
अल्मोडा जनपद के सालम पटटी में प्रत्येक वर्ष सालम रंग महोत्सव का आयोजन किया जाता हैा इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता हैा
मनोरंजन एवं व्यापार की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण इस मेले में क्षेत्रीय जनता द्वरा उत्तराखण्ड की संस्कृति से परिचित किये जाने के उददेश्य से इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
देवी महोत्सव में कई उत्साहवर्धक सांस्कृतिक गतिविधियों यथा खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजन किया जाता हैा
उत्तरकाशी जनपद के खरसाली नामक स्थान पर इस मेले का भव्य आयोजन किया जाता हैा यहां पर दूर-दूर से देवी-देवताओं की डोली आदि आती हैा यह पारम्परिक, पौराणिक महत्व का मेला हैा
राजि जनजाति द्वरा मनाया जाने वाला त्यौहार
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भातखण्डे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय, देहरादून / अल्मोडा / पौडी द्वरा भातखण्डे जी के जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में शास्त्रीय गायन / वादन / नर्तन आदि की प्रस्तुति द्वरा भातखण्डे जी को याद किया जाता हैा
धार्मिक आस्था के प्रतीक इस मेले का महत्वपूर्ण स्थान है, महा मृत्युंजय का जाप यहां पर किया जाता हैा
स्वतंत्रता सैनानियों की स्मृति में प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जाने-माने कवि, शायरों द्वरा कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाता हैा
स्वतंत्रता दिवस के आधार पर शहीदों की स्मृति पर इस दिन प्रत्येक जनपद में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
रक्षाबन्धन के उपलक्ष्य में बहिन भाई की लम्बी उम्र के लिए इस पर्व का आयोजन किया जाता हैा सभी लडकियां, महिला आदि गांव के मन्दिर के चौक में सामूहिक रूप से पूजा करती हैं तथा भाई की कलाई में धागा बांधकर तान्दी नृत्य प्रस्तुत करती हैं
समस्त स्थानीय बाल्मिकी समाज झाडू एवं हाथ के पंखे एक लम्बे से डंडे पर बांधते हैं तथा मन्नते मांगते हैं
उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां बाराहीधाम देवीधूरा जनपद चम्पावत में आषाढी कौथिक मेले का आयोजन किया जाता है, इस मेले का मुख्य आकर्षण रक्षाबन्धन के दिन ‘’बग्वाल’’ (पाषाण युद्ध) मेला होता हैा जिसमें कई लोग भाग लेते हैं तथा रिंगाल की छत्तोली को ढाल के रूप में प्रयोग करके एक-दूसरे पर पत्थर फैक कर पाषाण युद्ध करते हैं
महासू देवता के जागडा त्यौहार को सम्पूर्ण जौनसार बाबर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
जुहारघाटी में निवास करने वाले भोटिया जनजाति के निवासियों द्वारा इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
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पर्यटन एवं सांस्कृतिक धरोहर की दृष्टि से इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण एवं नन्दादेवी राजजात जो कि 12 वर्षों में निकलती है उसका आखिरी पडाव होने के कारण तथा प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस स्थान पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया जाता हैा
1857 की क्रान्ति की भूमि रही सल्ट का उत्तराखण्ड में विशेष महत्व है इसी कारण यहां पर शहीद दिवस मनाया जाता है तथा शहीदों की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
सीमान्त जनपद उत्तरकाशी में समय-समय पर गढवाल की लोक कला एवं संस्कृति तथा सरकार की जनोपयोगी नीतियों पर आधारित मेलों का आयोजन किया जाता हैा
भारत रत्न प्राप्त गोविन्द बल्लभ पन्त जी के जन्म दिवस के अवसर पर ग्राम खूंट-अल्मोडा में राष्टरीय भावना से ओत-प्रोत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
दैवीय तथा अनुपम शक्ति से परिपूर्ण मां कुंजापुरी पर्यटन विकास मेले का उत्तराखण्ड प्रदेश में विशेष महत्व हैा
धार्मिक आस्था के इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किये जाते हैं
एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले का अपना एक धार्मिक महत्व हैा
हस्तनिर्मित उत्पादों की बिक्री एवं विपणन तथा व्यापारिक दृष्टि से आयोजित काश्तकार मेला चमोली जिले का महत्वपूर्ण काश्तकार मेला है, जिसमें दर्शकों के मनोरंजन हेतु प्रत्येक दिवस सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाता हैा
विश्व पर्यटन दिवस के रूप में लैंसडौन में प्रतिवर्ष यह दिन मनाया जाता है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
कालसी ब्लॉक के लखवाड नामक स्थान पर प्रत्येक वर्ष दशहरा मेले का भव्य आयोजन किया जाता हैा इस अवसर पर महासु देवता की डोली भी निकाली जाती हैा
प्रत्येक वर्ष नवरात्रों के पासन अवसर पर अल्मोडा में विजयदशमी के अवसर पर दशहरा मेला का आयोजन किया जाता है, साथ ही कुल्लू दशहरा, हिमाचल प्रदेश में भी उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक दल प्रतिभाग करते हैा
पिथौरागढ जनपद मुख्यालय पर इस महोत्सव का आयोजन किया जाता हैा
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गांधी जयन्ती के अवसर पर कौसानी (अनाशक्ति आश्रम) में एक विशाल सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
उत्तराखण्ड राज्य के आन्दोलन में शहीद हुये आन्दोलन कारियों की शहादत पर शहीद दिवस के अवसर पर मुज्जफर नगर, खटीमा, मंसूरी में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना प्रस्तावित हैा
रंगमण्डल, देहरादून द्वरा विलुप्त होते पौराणिक एवं ऐतिहासिक लोक संस्कृति को संरक्षण एवं संवर्द्धन एवं संस्कृति को आम जनमानस तक पहुचाने के लिए लोकनाटय समारोह का आयोजन किया जाता हैा गत वर्ष भी इसका सफलतापूर्वक आयोजन किया गया जिसे क्षेत्रवासियों द्वरा काफी सराहा गया, टाउन हाल, देहरादून में 6 दिवसीय लोकनाटय उत्सव का आयोजन किया गया जिसमें गढवाली, कुमाऊंनी, जौनसारी भाषाओं के लोकनाटयों की प्रस्तुति की गयी
पर्यटकों को उत्तराखण्ड की संस्कृति से रू-ब-रू कराने एवं पर्यटकों के स्वागत अभिनन्दन (अतिथि देवों भव) हेतु रामनगर महोत्सव का आयोजन किया जाता हैा
पर्यटन नगरियों में शरदोत्सव का शुभारम्भ एक शोभायात्रा के साथ किया जाता है जिसमें विभिन्न जिलों की पारम्परिक वेशभूषा एवं विभिन्न संस्कृतियों की झांकियों का प्रदर्शन किया जाता हैा
भारत सरकार के विकास आयुक्त (हथकरघा, हस्तशिल्प) के सहयोग से राज्य के हथकरघा बुनकर एवं शिल्पी अपने उत्पादों का विपणन करते हैं तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिसमें राज्य के शिल्पियों की अधिक से अधिक बिक्री की जा सकेा
दीपावली के अवसर पर खेतीखान में दीप महोत्सव का आयोजन किया जाता हैा इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता हैा
रंगमण्डल, देहरादून द्वरा विलुप्त होते पौराणिक एवं ऐतिहासिक लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन एवं संस्कृति को आम जन मानस तक पहुंचाने तथा राज्य की नाटय विदया को जीवित रख ले तथा नाटय कलाकारों को मंच प्रदान करने के उददेश्य से राज्य नाटय समारोह का आयोजन किया जाता हैा
रूद्रप्रयाग जनपद के कविल्ठा नामक स्थान पर कालीदास जयंती के अवसर पर संस्कृत नाटक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना प्रस्तावित हैा
राज्य की विलुप्त होती लोक संस्कृति एवं स्व-उधमिता को बढावा देने के उददेश्य से ग्रामीण हिमालय हाट का आयोजन किया जाता हैा
Cultural programs are organized at the Anashakti Ashram, Kausani.
Programs are organized to pay tribute to the martyrs of the Uttarakhand state.
रंगमण्डल, देहरादून द्वरा विलुप्त होते पौराणिक एवं ऐतिहासिक लोक संस्कृति को संरक्षण एवं संवर्द्धन एवं संस्कृति को आम जनमानस तक पहुचाने के लिए लोकनाटय समारोह का आयोजन किया जाता हैा गत वर्ष भी इसका सफलतापूर्वक आयोजन किया गया जिसे क्षेत्रवासियों द्वरा काफी सराहा गया, टाउन हाल, देहरादून में 6 दिवसीय लोकनाटय उत्सव का आयोजन किया गया जिसमें गढवाली, कुमाऊंनी, जौनसारी भाषाओं के लोकनाटयों की प्रस्तुति की गयी
This is celebrated to get the tourists an insight into the culture of Uttarakhand.
A procession is taken out in the tourists places in which JHANKI’S are taken out in which traditional dresses and cultures are displayed.
भारत सरकार के विकास आयुक्त (हथकरघा, हस्तशिल्प) के सहयोग से राज्य के हथकरघा बुनकर एवं शिल्पी अपने उत्पादों का विपणन करते हैं तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिसमें राज्य के शिल्पियों की अधिक से अधिक बिक्री की जा सकेा
Deep Mahautsav celebrated at Diwali with cultural programs.
Ranmandal, Dehradun organizes this to protect, preserve the mythological and historical culture and also to make the people aware of these.
Cultural dramas and programs are proposed on the occasion of Kalidas jayanti at Kaviltha.
This is organized with an objective to promote self employment and cultural traditions of the state which are slowly fading away.
बैकुण्ठ चर्तुदशी पर्व के अवसर पर समस्त क्षेत्रवासियों द्वरा मेले में सहभागिता निभाई जाती है तथा प्रत्येक रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैा
सिख धर्म में गुरू नानक देव का जन्म दिवस पूर्ण हर्षोउल्लास के साथ प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता हैा इस अवसर पर भजन / कीर्तन संध्या सिख तीर्थ स्थली रीठा साहिब (पिथौरागढ) एवं गोविन्द घाट (चमोली) में करायें जाने का प्रस्ताव हैा
जिस प्रकार प्रति वर्ष बदरी केदार उत्सव का आयोजन किया जाता है उसी प्रकार बिनाथेस्वर मेले का भी आयोजन किया जाता है बिजोरिया बैण्ड से 40 किमी0 पैदल मार्ग के पश्चात बिनाथेश्वर मेले का आयोजन किया जाता हैा
उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर राज्य के समस्त जनपदों की लोक संस्कृति से आम-जनमानस को अवगत कसने के उददेश्य से इसका आयोजन किया जाता है, इसमें कई राष्टरीय एवं अर्न्तराष्टरीय स्तर के कलाकारों द्वरा भाग लिया जाता हैा
पर्यटन विभाग उत्तराखण्ड द्वरा आयोजित इस कार्यक्रम में समस्त गढवाल की लोक संस्कृति को सम्मिति कर मंच के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें छोलिया नृत्य को प्रमुख रूप से सम्मिलित किया जाता हैा
प्रगति मैदान, नई दिल्ली में प्रत्येक वर्ष अर्न्तराष्टरीय व्यापार मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें राष्टरीय एवं अर्न्तराष्टरीय स्तर के कलाकारों के साथ विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों को भी आमंत्रित किया जाता हैा
काली एवं गौरा नदी के संगम स्थल जौलीजीवी में प्रत्येक वर्ष जौलीजीवी मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें सैकडों लोगों की उपस्थिति रहती है
चमोली जनपद का प्रसिद्ध गौचर मेला खेलकूद, सामाजिक गतिविधियों आदि के लिए सुविख्यात है जिसका वृहद स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ आयोजन किया जाता हैा पं0 जवाहर लाल नेहरू जी के जन्म दिवस पर इस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया जाता हैा
पिछडी, अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास समिति नैनबाग द्वरा इस महत्वपूर्ण मेले का आयोजन किया जाता हैा
जौनसार की परम्परागत एवं प्रसिद्ध बूढी दीपावली को कई चरणों यथा, रण दीपावली, औंस दीपावली, तेजनदोई दीपावली के अवसर पर क्वानू मेले का आयोजन किया जाता हैा
गंगवाडस्यू महोत्सव का भव्य एवं व्यापक आयोजन क्षेत्रीय जनता के स्वस्थ्य, मनोरंजन एवं राज्य की विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर की धारा से अवगत कराने के उददेश्य से किया जाता हैा
जिला रूद्रप्रयाग में त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेले का आयोजन ऊखीमठ में किया जाता है जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों हेतु क्षेत्रीय जनता द्वरा विशेष मांग की जाती हैा
स्थानीय लोक दूर-दूर से अपने देवी-देवताओं के विग्रहों को नागराजा की जात्रा में लाते हैा मनभागी सेम मैदान में इस मेले का भव्य आयोजन किया जाता हैा
कुमाऊं के चन्द राजाओं के समय से ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व के इस मेले का आयोजन किया जाता हैा इस मेले में पर्वतीय एवं मैदानी दोनों ही क्षेत्र के लोग काफी संख्या में आते हैा
गढवाल भातृ मण्डल, क्लेमनटाउन द्वरा प्रत्येक वर्ष गढ कौथिक का आयोजन किया जाता हैा जिसमें उत्तराखण्ड की पारम्परिक संस्कृति के साथ ही गढभोज का भी आयोजन किया जाता हैा
अखिल गढवाल सभा, देहरादून द्वरा हर दूसरे वर्ष उत्तराखण्ड महोत्सव कौथिक का भव्य आयोजन किया जाता हैा सात दिन तक चलने वाले इस कौथिक में पूरे उत्तराखण्ड की संस्कृति के दर्शन होते हैा
कुमाऊं की लोक सांस्कृतिक विरासत को आम जनमानस तक पहुंचाने हेतु इस मेले का आयोजन किया जाता हैा
People participate in this fair and cultural programs are organized in the evenings.
On this occasion an evening of prayers are proposed to be organized at Ritha Sahib(Pithoragarh) and Govind Ghat(Chamoli)
This fair is organized every year, 40 kms from Bijoriya bend.
Cultural programs are organized in all districts of the state in which national and international artists are also invited to perform.
Tourism department of Uttarakhand organizes this program to showcase the culture. Inclusion of Cholia dance is one of the main events.
This is organized every year at New Delhi in which along with national and international artists the cultural groups from various states are also invited.
This fair is organized every year at the meeting point of Kali and Gaura rivers.
चमोली जनपद का प्रसिद्ध गौचर मेला खेलकूद, सामाजिक गतिविधियों आदि के लिए सुविख्यात है जिसका वृहद स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ आयोजन किया जाता हैा पं0 जवाहर लाल नेहरू जी के जन्म दिवस पर इस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया जाता हैा
This fair is organized by the SC/ST Development Samiti, Nainbagh
This fair is organized during the traditional Budhi Diwali festival.
This is organized in a grand way to show the entertainment cultural heritage of the state.
This fair is organized in Ukhimath and several cultural programs are presented.
This fair is organized on the ground located at Sem.
This fair is organized because of the mythological and historical relevance of this since the times various kings ruled over Kumaon.
This is organized by the Garhwal Bhatri Mandal , Clement Town.
This is organized by the Akhil Garhwal Sabha every second year and it lasts for seven days.
This is organized to bring the rich cultural heritage of Kumaon region to the people.
उत्तराखण्ड के लोकगीत / लोक नृत्यों आदि को संरक्षित करने तथा विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति का आदाम-प्रदान करने हेतु मेले का आयोजन किया जाता हैा
यह मेला भारत माता के महान सपूत शहीद उधमसिंह जी की स्मृति में प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता हैा
अल्मोडा संग्रहालय की एक वीथिका कविवर सुमित्रानन्दन पंत के नाम से कौसानी में स्थित हैा कौसानी (अल्मोडा) का संबंध गांधी जी से भी रहा हैा पर्वतीय सौन्दर्य की छटा बिखेरती इस स्थली में पं0 सुमित्रानन्दन पन्त जी की स्मृति में एक राष्टरीय स्तर का कवि सम्मेलन आयोजित किया जाता हैा
जौनसार बाबर की लोक संस्कृति पर इस मेले का वृहद स्तर पर आयोजन किया जाता हैा
ईद मिलन के मुबारक मौके पर साम्प्रदायिक सौहार्द बढाये जाने के उददेश्य से गंगा-जमुनी तहजीब पर आधारित कव्वाली / मुशायरे का आयोजित किया जाना प्रस्तावित हैा
This fair is organized to preserve the folk dances and folk music and also to provide a platform to exchange different cultural aspects of different regions.
This fair is organized to pay respect to the great martyr Udham Singh.
A national level poet’s conclave is organized in the remembrance of pt Sumitra Nandan Pant at Kasauni.
A grand fair is organized based on Jaunsar Bhawar’s folk culture.
Kawwali and Mushayara programs are organized on this day to build communal harmony.